Skip to main content

Before Mechanical Clocks There Were Candle Clocks

मैकेनिकल घड़ियों से पहले मोमबत्ती घड़ियों थे

Overcome Laziness Motivation-Mind Habit Techinques

Overcome Laziness Motivation-Mind Habit Techniques
ऐसी सिचुएशन आपने जरूर Face किया होगा जिसमें आपको ऐसा लगता है मुझे पता है कि मुझे पढ़ना होगा|यह मुझे अच्छे से पता है कि मुझे इस काम को करना है|पर इसके बावजूद भी आप को मन नहीं करता|आलस घर लेता है और आराम करने में ही आपको मजा आता है|आपने से हर कोई जो ए आर्टिकल पढ़ रहा है हर किसी के पास कुछ ना कुछ गोल होगी|मुझे यह बनना है, मुझे एग्जाम क्रैक करके दिखाना है, उस एक इंसान को इंप्रेस करना है, या किसी बड़ा करोड़ों का बिजनेस खराब करना है|

आपके पास Idea भरकर है एक चीज जो मैच हो रहा है वह है मोटिवेशन|करना तो बहुत कुछ है पर एनर्जी की कमी है|आपका दिमाग किस तरह याद है आपको यह जानना? यह जानना है पूरा जो चीज मुश्किल है या फिर अनकंफर्टेबल है|
आपका दिमाग उसे हमेशा नहीं करना चाहते हैं|उसे अवॉइड करेगा और इसमें कोई बुरी बात भी नहीं है|आपका दिमाग ऐसा ही बना हुआ है|आपका दिमाग हमेशा आपको मुश्किल चीजों से बचाता है|क्योंकि दिमाग का काम ही होता है आप को जिंदा रखना|आपका दिमाग हमेशा चेंज या नहीं आपके आदतों को रोकता है क्योंकि दिमाग नहीं चाहता आप किसी मुश्किल चीज को फेस करो|पर अगर आप अपना बेस्ट  version बनना चाहते हो? अगर आप कुछ अलग करना चाहते हो?

तो आप को चेंज या नहीं बदलाव को फेस करना ही होगा|ऐसी चीज करना ही होगा जो आपको मुश्किल लगता है|

एक बेकार और एक अरबपति दोनों को एक दिन में 24 घंटे मिलते हैं पर फर्क उससे पड़ता है कि आप उसे 24 घंटे में क्या करते हो आपके क्लास का जो टॉपर है उसके पास कोई टाइम में से नहीं है|जिससे ओ समय को स्लो करके एक दिन में 48 घंटा इंजॉय करता है|आपके पास भी 24 उसके पास भी 24

आप चाहे सांवले हो चाहे गोरा हो लंबे हो या मोटा हो या पतले हो किसी भी कास्ट की हो किसी भी देश के हो यह मैटर नहीं करता|सबको यह ब्रह्मांड एक दिन में 24 घंटे ही देते हैं मुकेश अंबानी जी ले जी नहीं थे वह अपने काम को पूरे लगन के साथ करते थे|और आलस को कहते थे तू भाड़ में जा।इसलिए उन्होंने उसी 24-घंटे को इस तरह इस्तेमाल किया|कि आज वह हर सेकंड ₹57,000 कमाता है|जी हां मैं कोई मंथली सैलरी की बात नहीं कर रहा हूं|हर एक सांस के साथ हर एक सेकंड को ₹57,000 कमाता है|और दूसरी तरफ एक बेबस लाचार बेरोजगार इंसान 1 दिन में इतना पैसा भी जुटा नहीं पाते वह कम से कम अपना पेट भर पाए|

अंबानी जी अगर मेहनत के बदले आराम कर रहे होते तब क्या ओ ओ बन पाते जो ओ आज है अगर वह आलस करते तो क्या वह कभी सफल होते? समय समय आप अपने लिए गोल्ड सेट करते हो? मुझे एग्जाम में इतना मार्क्स लाना है|इस न्यू ईयर से तो मैं अपने आप को हैंडसम बनाऊंगा बॉडी बना लूंगा कुछ नई चीज को इंजॉय करूंगा|बट थोड़े टाइम बाद आपका कॉन्फिडेंस कम हो जाते हैं और आप कुछ नहीं कर पाते हो पर आप सोचते होंगे? जब आप मोटिवेशन वीडियो या आर्टिकल देखते हो तब तो बहुत चार्ज रहते हो पर कुछ दिन बाद अरे कुछ दिन बाद क्या असर कुछ घंटे बाद मोटिवेशन कम हो जाते तो ले जीनियस आलस के बदले अपने आप को एकदम चार्ज हमेशा कैसे रख सकते हो? आलस कैसे दूर करें इसके बारे में आप कई तरह की बात को सुन सकते हो पर आपको सबसे जरूरी बात को समझना होगा|

इसे जानने के बाद आप का आलस एकदम छूमंतर हो जाएगा|

ले जीनस यानी आलस एक्चुअल में कोई स्टेट नहीं है|मतलब आप कहते हो मैं आलसी हूं यह बात गलत है|आप आलसी नहीं हो बल्कि आप आलस 'KARTEY HO' फिर से कहता हूं आप आलसी नहीं हो आप आलस करते हो?

आलस असल में एक काम है आप आलस कर रहे हो जिस तरह आप चलते हो दौड़ते हो उसी तरह आलस एक ऐसी चीज है जो आप खुद जानबूझकर करते हो|आप आलसी नहीं हो उसके उल्टा अगर आप किसी काम को पूरा एनर्जी के साथ करते हो वह भी एक काम है जो आप करते हो|KARTET सब पर ध्यान देना इतना जो मैंने कहा इसका मतलब यही है कि कोई भी इंसान आलसी नहीं होता|

FOLLOW SLOW IMPLEMENTATION


आलस को दूर भगाना है तो FOLLOW SLOW IMPLEMENTATION मतलब आलस को धीरे-धीरे भगाओ मान लो आप ने तय कर लिया मैं आज से आलसपन नहीं करूंगा और आप 20 मिनट एक्सरसाइज करने का ठान लिया रोज 4 घंटे पढ़ने का डिसाइड किया पर पर पर?

यही मैं आपको बताने की कोशिश कर रहा हूं|किसी भी चीज को धीरे-धीरे आपको बनाना चाहिए सबसे मेन बात यह है|आलस एक बार में कभी खत्म नहीं होता ईमानदारी से एक बात बोलता हूं Google में एक आर्टिकल पढ़कर किसी का आलस नहीं खत्म हो जाएगा|तो अपने आलस को कम करने की प्रोसेस को धीरे धीरे करो और इसके लिए आप 2 मिनट का रूल फॉलो कर सकते हो|जो कि एक जादुई तरीका है 2 मिनिट रूल के हिसाब से अगर आप दिन में 30 मिनट पढ़ते हो तो कल से 32 मिनट पढ़ो|

 नहीं करते हो तो 2 मिनट एक्सरसाइज कर लो आप कहोगे इस से क्या होगा यही तो दिमाग? आप को फंसा रहा है और आपको यह करने से रोक रहा है|बात यह है कि अगर आप अचानक से कुछ बड़ा करोगे ना जैसे 4 घंटा पढ़ लूंगा रोज 30 मिनट कसरत करूंगा कल से कर लेना|तो आप ज्यादा दिन तक नहीं कर पाऊंगी फिर वही Back नॉर्मल हो जाएगा पर अलसी से आलसी इंसान 2 मिनट के लिए तो आराम से कुछ भी चीज को कर लेगा|

10-15 मिनट meditation नहीं कर पाते तो 2 मिनट meditation कर लो कल से लेकर कुछ दिन तक अगर आप 2 मिनट ज्यादा मेडिटेशन करेंगे तो फिर|परसों और 2 मिनट ज्यादा यानी 4 मिनट मेडिटेशन करोगे 30 दिन यानी 1 महीने में यह देखेंगे आप 30×2 यानी एक घंटा ज्यादा मेडिटेशन कर रहे हो|

एक बार में कुछ बड़ा मत करो despacito करो हां despacito मतलब होता है slowly slowly.


Comments

Popular posts from this blog

For what reason does old books have a different smell?

किस कारण से पुरानी किताबों में एक अलग गंध है? पुरानी किताबों की इतनी अचूक गंध की वजह से प्रेरणा इस आधार पर है कि पृष्ठों में कई प्राकृतिक मिश्रण कुछ समय के बाद अलग हो जाते हैं और बादाम, वेनिला और घास की तरह गंध की तरह निकलने वाले सिंथेटिक्स। बहुत से लोगों को पुरानी किताब की पहचानने योग्य सुगंध पता है, भले ही यह लाइब्रेरी में हों या घर पर सेवानिवृत्त पुस्तक के आरामदायक कोने पर हों। यह काफी पुरानी, ​​अनैतिक गंध है जो बादाम, वेनिला और घास के मिश्रण की याद दिलाती है। जैसा भी हो सकता है, पुरानी किताबों के कारण इस तरह की खुशबू क्या है? लंदन में यूनिवर्सिटी कॉलेज के शोधकर्ताओं ने खोज की और पाया कि यह उन पृष्ठों में प्राकृतिक मिश्रणों के कारण था जो कुछ समय बाद और सिंथेटिक पदार्थों को निर्वहन करते थे। चूंकि पेरूसर पुरानी किताब के पृष्ठों के माध्यम से फ़िल्टर करते हैं, कई अप्रत्याशित प्राकृतिक मिश्रण (वीओसी) को हवा में छुट्टी दी जाती है, जिससे अमान्य पुरानी पुस्तक गंध आती है। शोधकर्ताओं द्वारा रोसिन (या पाइन टैर) और लकड़ी के फाइबर युक्त पुस्तकों में पेपर का एक हिस्सा टूट गया। ये पेपर के सबसे तेज...

Could 'knocker-up' be the activity for you?

क्या आपके लिए गतिविधि 'दस्तक' हो सकती है? उस बिंदु तक जब 1 9 20 के दशक में, 'नॉकर-अप' नामक एक कॉलिंग थी, जिसमें ग्राहक से ग्राहक तक जाकर और उनकी खिड़कियों पर टैप करना (या उनके प्रवेश द्वारों के खिलाफ मारना) लंबे समय तक चिपकने के बाद तक वे उठ गए थे। नए नवाचार के दृष्टिकोण में, कुछ गहरी जड़ें कॉलिंग अनिवार्य रूप से अतिरिक्त खत्म होने जा रही हैं। इनमें से एक 'दस्तक' का आह्वान है। 'नॉकर-अप' को अपनी खिड़की या प्रवेश द्वार के खिलाफ झुकाकर ग्राहकों को जागृत करने के साथ सौंपा गया था। वे आमतौर पर लंबे समय तक खिड़कियों को प्राप्त करने के लिए, बांस का उपयोग करके उत्पादित एक लंबी छड़ी का उपयोग करते थे। अन्य हड़ताली उपकरणों में एक मटर-शूटर शामिल है। वे उस बिंदु तक बाहर रहते हैं जब वे निश्चित हैं कि ग्राहक सचेत है, जिनसे उन्होंने कुछ पेंस अर्जित किया है। उन्नीसवीं शताब्दी के बीच कॉलिंग सबसे मुख्यधारा थी, खासकर विस्तृत आधुनिक शहरी समुदायों में, उदाहरण के लिए, मैनचेस्टर। 1 9 20 के दशक में गायब होने के अलावा सब कुछ नॉकर-अप, जब टाइमर जागते हैं तो अधिक मध्यम...

रेल की पटरी पर पत्थर क्यों होता है?

रेल की पटरी पर पत्थर क्यों होता है? कभी आपने सोचा कि रेल की पटरी पर यह पत्थर क्यों होता है। यह आर्टिकल बहुत मजेदार होने वाली है इसलिए पूरा जरूर देखना| हर बार जब आप ट्रेन में सफर करते हो तब यह पत्थर देखते हो जिसे गिट्टी भी कहते हैं पर यह आखिर ट्रेन की पटरी के आसपास क्यों बिछाई होता है? सबसे पहली बात जो आपको जानना चाहिए वह है|रेल की पटरी पर जो पटरी आप देखते हो वह इतना सिंपल नहीं होती है उस पटरी के नीचे यह होता है| Concrete  बनी हुई यह लंबे-लंबे प्लेट जो आप असल पटरी पर देखते हो इन्हें sleepr कहते हैं  स्लीपर के नीचे एक पाठ जो आप देख रहे हो यह है पत्थर जो कि बिछड़ा हुआ रहते हैं और इन्हीं सारे पत्थर को बैलेंस करते हैं इनके नीचे और दो लेयर होते हैं पीला और लाल जो आप देख रहे हो उसके बाद वह नेचुरल जमीन होता है जोकि हरे कलर का आप देख रहे हो हमेशा ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि|सिंपल जमीन के ऊपर पटरी बिछा होती है पर यह सच नहीं है ट्रेन को अगर आप गौर से देखोगे तो आपको यह पता चलेगा किए थोड़ी ऊंचाई पर बनाई जाती है...